Tuesday, September 30, 2008

ऱाज्यतंत्र ने राजनीति को एकतरफा बना दिया

लोकतंत्र से हमेंशा देश को उम्मीदे रही है । हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है । जाहिर है कि जनता का विश्वास लोकतंत्र से जुड़ा रहा है । जनता के वोटो से जीते गए उम्मीदवार के दिल में भी यही रहता है कि जनता हमसे नाराज न हो इसलिए वे ऐसा कोई काम नही करना चाहते है जिससे जनता का दिल या कोई खास वगॆ उस दल या पाटीॆ से टूटे । लोकतंत्र में प्रजा यानी जनता की तमाम उम्मीदो का ख्याल रखा जाता है । लेकिन राज्यतंत्र से इस तरह की उम्मीद नही की जा सकती है । न्याय करना और जनता को उचित न्याय दिलाना राज्यतंत्र का काम होता है । अगर ऐसा नही होगा तो देश नही चल सकता है । जनता को भी ऐसी उम्मीदे रहती है कि राजा उसके साथ औऱ राज्य की नीतियो के साथ भेदभाव न करे या सरकार एकपक्षीय न हो । लेकिन कांग्रेस सरकार इस समय देश में जो कर रही है उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि सरकार वोट बैंक से ज्यादा कुछ नही सोच नही पा रही है या सरकार में अल्पसंख्यक या इससे अधिक सोचने की दमखम रखती ही नही है । आतंकवाद के मसले पर सरकार ने जो अपनी रणनीति दिखाई उससे यह नही कहा जा सकता है कि सरकार ने पूरे तंत्र को पंगु बना दिया है । दिल्ली में बम धमाके हुए लेकिन सरकार ने क्या किया । सरकार ने आतंकबादियो को पकड़ने के नाम पर जनता के साथ ठगी किया । शायद उसे लग रहा है कि आतंकवादियो को गिरफ्तार करने से उनका मुसलिम वोट खिसक जाएगा । यही माना जाए कि सरकार अल्पसंख्यको के वोट को पाने के लिए पूरे देश को खौफ और दहशत में जीने के लिए छोड़ देना चाहती है । सरकार ने दहशतगदो को पकड़ने कि लिए कोई कदम नही उठाए । अगर दिल्ली में कुछ आतंकवादियो को पकड़ने में सफलता मिली है तो उसका कारण भी गुजरात सरकार है जो अहम सुराग देकर आतंकवादियो के बारे में अहम सुराग दिए जिसके कारण कुछ गिरफ्तारियां हुई । उसको अगर अलग मानकर देखा जाए तो सरकार आतंकवाद के नाम पर उदासीन रही है । सरकार यह सोचती है कि इससे उसे अल्पसंख्यको वोट मिल जाएगा । लेकिन कितना बड़ा नुकसान देश को है सरकार नही सोच रही है । सरकार के इस व्यवहार से हमारा देश दो हिस्सो में बंट रहा है । जिसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ रहा है ।

Thursday, September 25, 2008

देश के नक्शे पर आजमगढ़ का नया नक्शा
दिल्ली में हुए बम धमाको के बाद एक ऐसा नक्शा देश के सामने आया जो देश के नक्शे से भी बड़ा था । ये नक्शा है आजमगढ़ का । दिल्ली बम धमाको में जितने भी आतंकवादी का नाम सामने आया है उसमें आजमगढ़ का नाम सबसे बड़ा है । और यह भी खुलकर सामने आ रहा है कि दिल्ली बलास्‍ट में मुम्बई से गिरफ्तार पांच आतंकवादियो के तार २००५ से लेकर अबतक के धमाको से है । और इन धमाको के तार कही न कही आजमगढ़ से जुड़े रहे है । जो भी हो उत्तर प्रदेश के नक्शे पर आजमगढ़ काफी समृद्ध रहा है । कारण यह है कि यहां के लोग कुशल कारीगर रहे है । जिसकी झलक बनारसी साड़ियो में देखी जाती है । इसके अतिरिक्त यहां के लोगो के लिए समृध्दि की लहर अरब देश से भी आती रही है ।अरब देश में काम करनेवाले लगभग ४०० परिवार आजमगढ़ के रहे है । आजमगढ़ का महत्व विद्वान से लेकर मशहूर शायक तक रहे है । राहुल सास्कृतायन से लेकर मशहूर शायर कैफी आजमी तक का धर आजमगढ़ रहा है । लेकिन इस सब के बाबजूद आजमगढ़ की नयी फसल आतंक औऱ दहशत से तैयार हो रही है ।कारण जो भी हो लेकिन अभी जो स्थिति आजमगढ़ की है इसमें यही कहा जा सकता है कि इस आजमगढ़ में आतंकवाद की नई फसल तैयार हो रही है । दिल्ली बम धमाको में गिरफ्तार किये गये ये आतंकी इसके सबूत है ।लेकिन सवाल यह है कि आजमगढ़ में आतंक की इस फसल का कारण क्या है ...इसके बीच यह भी हो सकता है कि इन नये चेहरो को आजमगढ़ में अबु सलेम का घर लुभा रहा है । कारण जो भी हो लेकिन आतंक के इस नये चेहरे ने आजमगढ़ की तस्वीर को बदल दिया है ।

Friday, September 19, 2008

दिल्ली में आतंकवादियो और एनएसजी के बीच मुठभेड़ जारी

दिल्ली के जामिया नगर में आतंकवादियो और एनएसजी के जवानो के बीच मुठभेड़ जारी है । दिल्ली में पांच सीरियल बलास्ट करने के बाद आतंकवादी शायद शहर से निकलने के फिराक में थे या छुपे हुए थे ...। एनएसजी के जवानो को किसी तरह इस बाबत सूचना मिली और उसने पूरे इलाके को घेर लिया ...फिर क्या था मुठभेड़ जारी हो गई ..दो आतंकवादी मारे गए और एक को पकड़ा गया है ...बहरहाल मुझे इस घटना की जानकारी नही देनी है ..मेरी मिशन कतई नही है कि इस घटना में क्या हुआ कैसे हुआ। मेरा मकसद है इस घटना से पहले और बाद की स्थिति में सरकार के फैसले और सरकार की प्रतिबध्दता को दशाॆने की ...। सुवह मैने अकवार खोली तो सूचना एवं प्रसारण मंत्री का बयान पढ़ने को मिला-कहना था कि पोटा जैसे अमानवीय कानून की इस देश में कोई जरूरत नही है । देश में कई कानून है जिसके सहारे आतंकवाद से लड़ा जा सकता है । सोचने लगता हू कि अमानवीय कानून के बारे में ...क्या आतंकवादी इस तरह हमारे देश में लोगो की जान ले रहा है ,वह अमानवीय घटना नही है ..फिर अंमानवीय लोगो के लिए अमानवीय कानून क्यो नही ....सरकार किस तरह का वयान देती है समझ से परे है । सरकार कहती है कि पहले से हमारे देश में कई कानून है जिसको ठीक तरीके से क्रियान्वयन की जरूरत है फिर इसे लागू करने के लिए सरकार क्या कर रही है । लागू सरकार ने अबतक क्यो नही किया ...जबकि इस तरह की घटनाए होती ही रहती है । फिर किस समय का इंतजार सरकार कर रही है । जबकि आतंकबादियो ने सरकार के सामने दिल्ली में मुठभेड़ कर चुनौती पेश कर दी तो सरकार को अब क्या करना चाहिए ...।सरकार के हर रोज के बयान से एसा दिखता है कि सरकार को इस बाबत कुछ लेना-देना नही है केवल सरकार दिखाना चाहती है कि हम आम जनता के लिए कुछ कर रहे है । आतंकवादियो से ल़ड़ने के लिए नया कानून बना रहे है । लगता तो एसा है कि सरकार चुनाव का अपना कायॆक्रम तैयार कर रही है । चुनावी मोहरे पर कई विसात बिठाने की तैयारी सरकार कर रही है । इस मुठभेड़ में बहुत सारी चीजे और भी सामने आयी है कि अपने देश में भी इस तरह के लोगो से लड़ना आसान नही है ।जिस ढ़ंग से घटना को तुल दिया जा रहा है उससे क्या समझा जा सकता है । लोगो ने इस घटनाओ को मस्जिद से जोड़कर तुल देने पर जोर दिया...या साम्प्रदायिक माहौल खराब करने का भी इरादा होगा कहा नही जा सकता है । लेकिन इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि सरकार के ये कानून और ये बयान आतंकवादियो से लड़ने के लिए काफी नही है ...और सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है ।लेकिन सरकार इस प्रति काफी कमजोर दिखाई दे रही है । आखिर माजरे को समझने की जरूरत है ।

Thursday, September 18, 2008

आतंकवाद के मसले पर इतनी देर क्यो

केबिनेट मीटिग में दिल्ली बम धमाको का जिक्र चल रहा था। लालू प्रसाद को छोड़कर सभी मंत्री शामिल हुए थे । वे विशेष कारणो से शामिल नही हो सके । सभी मंत्रियो ने अपनी-अपनी राय रखी। प्रधानमंत्री स्वयं भी इस मामले पर काफी संवेदनशील दिख रहे थे । किसी ने कहा कि आईबी ठीक से काम नही कर रही है तो किसी ने तालमेल की बात उठाई । खुद प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारी अधिकारियो में तालमेल नही होने के कारण इस तरह की घटनाए हो जाती है और खुफिया विभाग देखती रह जाती है । एक अलग से एजेंसी की बात भी चली लेकिन आवाज आई कि जितनी एजेसी देश मे काम कर रही है अगर उतने को हो ठीक-ठाक कर दिया जाए तो हम आतंकवाद से निपट सकते है ।लेकिन सवाल गहराता जा रहा है कि सरकार ने धमाको से पूवॆ इस प्रकार की कानून व्यवस्था तैयार क्यो नही की और हर धमाका हो जाने के बाद इस प्रकार की मीटिंग और फैसले क्यो लिये जाते है । सरकार ने इस प्रकार का वयान देकर खुद को कमजोर सावित किया है ।एसे भी आम हलको से यह आवाज आती रही है कि यह सरकार आतंकवाद के मसले पर हमेशा कमजोर कदम उठाती रही है । खुद गृहमंत्री का यह वयान कि मुझे इस प्रकार की घटनाओ की पहले से जानकारी थी क्या दिखलाता है कि अगर सरकार के पास इस प्रकार की सूचना थी तो सरकार क्या कर रही थी ।क्या सरकार को इस प्रकार की घटना होने से किसी प्रकार का सरोकार नही रह गया है ।सरकार केवल वोट के लिए काम कर रही है । आखिरकार अगर हमारे पास इस प्रकार के खुफिया तंत्र पहले से है तो चुक कहां से हो रही है । सवाल खत्म होने का नाम नही ले रहा है ।फिलहाल हम सबो को इस पर गहन चिंतन करना है ।

Wednesday, September 17, 2008

अमरनाथ विवाद ने नई राजनीतिक विसात विछाई

अमरनाथ का विवाद ने जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक विसात खरी कर दी । यू कहे कि अमरनाथ मुद्दे की तैयारी काफी दिनो से चल रही थी । केवल मौका नही मिल रहा था कि राजनीतिक बिसात कहां से बिछायी जाये ।जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक हालात कमोवेश हर लोगो के जेहन में होती है । कश्मीर के लिए हम १९४७ से लड़ते आये है । लेकिन यहां हम ताजा विवाद की चचाॆ करना पसंद करेंगे । अमरनाथ गुफा की स्थापना और देखभाल मुसलमान लोगो के हाथो में रही है। २००१ तक अमरनाथ बोड का गठन नही किया गया था । लेकिन २००१ में इसकी स्थापना कर दी गई॥। और विवादो की एक रेखा खीच दी गई।अभी वहां गुलाम नबी आजाद का शासन चल रहा था । इससे पहले समझौके के आधार पर मुफ्ती मोहम्मद की सरकार थी ..।शायद मुफ्ती के बारे में ज्यादा बताना ठीक नही रहेगा । ये वही मुफ्ती है जिनकी बेटी रूबिया को आतंकवादियो ने अपहरण कर लिया था ..उस समय मुफ्ती साहब देश के गृहमंत्री थे । उन्होने बेटी को छुराने के चक्कर में बहुतो आतंकबादियो को छोड़ दिया था ...।जो भी हो ..अभी गुलाम नबी साहब का कायॆकाल उतनी दयनीय स्थिति में नही थी लेकिन चुनाव का वक्त नजदीक आ रहा था । और सभी दल अपनी रोटिया सोकने को तैयार थे । नेसनल कांफ्रेस भी इसी फिराक में थी । मुद्दा था कि मुसलिम वोट तो बंट जाएगे लेकिन हिन्दु वोट जहां जाएगी सरकार वही बनाएगा । हिन्दु वोट के लिए जमीन तराशी जा रही थी । इसी बीच अमरनाथ का विवाद सामने आया ..किसी पाटी ने कसर नही छोड़ी। हर तरह के हथकंडे अपनाए गए । जम्मू और कश्मीर सियासी चोकठ की आग में जलता रहा और राजनीतिक पाटिया आग लगाने में कोई कसर नही छोड़ना चाहते थे । आखिरकार अमरनाथ संघषॆ समिति और सरकार के बीच एक फैसला हुआ और आम सहमति बनी। लेकिन इस लड़ाई ने जम्मू -कश्मीर के बीच एक विभाजक रेखा खड़ी कर दी ।आखिरकार गुलाम नबी साहब को जाना पड़ा ।लेकिन यह विवाद कई सवाल खड़े कर रहे है।

Tuesday, September 16, 2008

दिल्ली में बम धमाके क्या हुए लोग ने गृहमंत्री के कपड़े बदलने पर आपत्ति जताने लगे

एक के बाद एक बम घमाको से दिल वालो का शहर दहल उठा । धमाका इतना खौफनाक कि २६ लोगो को जाने गवानी पड़ी औऱ १०० से अधिक घायल लोग अस्पताल में जिन्दगी औऱ मौत से लड़ रहे है । ये धमाका कई सवाल खड़ा करता है कि न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश का कोई शहर महफूज नही है । जिस शहर का नाम ले ले वही धमाका हुआ है । मालेगांव,जयपुर ,बंगलुरू,अहमदाबाद ,दिल्ली ......ताजा मिसाल पेश कर रहा हूं। अब हम ये मान ले कि हम महानगर मे रहते है और कभी भी काल के गोद में समा सकते है । हमलोग जान को हथेली में लेकर चलते है । आखिर इतने बड़े देश में सारा का सारा खूफिया से लेकर इं‍टेलीजेंस ब्यूरो तक फेल है ।आखिर हम किसके सहारे है । गृहमंती अपना बयान दे चुके है ...लग रहा है कि चार साल पहले भी यही बोले थे । बेचारे को कपड़ा बदलना भाड़ी पर रहा है ..मामले को इतना तूल नही देना चाहिए था ..वे भी आम इंसान है ..कपड़े के शौकीन है ,बदलते रहते है । उनके पास कपड़े है वे बदलते है जिनके पास नही है नही बदलते है । बम में मरने वालो को तो कोई जाकर देख सकता है वहां देखना ही तो है ..प्रधानमंती से लेकर सोनिया जी तक कोई जाकर देख सकती है । जो होने का था वह हो गया । फिर २०-३० आदमी के मरने से पाटिल साहब अपना कपड़ा बदलना छोड़ दे । ये तो मीडिया का कमाल है कि मामले को इतना बढा कर पेश किया गया बरना इस देश में कितने बच्चे रोज भूख से मरते है ..कभी आपने मीडिया के मुख से सुना है। उसके लिए शिवराज पाटिल साहव क्या करेगे । हर जगह भूखमरी और गरीबी है तो उसके लिए पाटिल साहब दोषी ङै । उनका अपना अलग विभाग है ...अगली बार उन्हे कपड़ा मंती बना दीजिएगा ..उस पर भी वे गुस्सा नही करेगे । बेचारे चुनाव जीतकर नही आये है तो आप जो मन है कह लीजिए । खैर कोई बात नही है बेचारे गला फाड़कर कह रहे है कि सोनिया का हाथ उनके सर पर है ।चिंता की कोई बात नही है। आप को तो टेलीविजन के माध्यम से रोज कहा जा रहा है कि आप अपनी जान-माल की जिम्मेवारी खुद रखे फिर आप पाटिल साहव पर इतना गुस्सा क्यो हो रहे है ..समझ नही आ ऱहा है ।धमाके हुए है जिन्दगी जल्द पटरी पर लौटकर आ जाएगी । हम अपनी तहजीब और संस्कार को बनाए हुए है । मुझे तो यह लगता है कि आपको गृहमंती का कपड़ा बदलना अच्छा नही लगता है

Saturday, September 13, 2008

विहार के बाढ़

विहार के बाढ़ पीड़ितो के लिए केन्द सरकार और अन्य जगहो से मिली राहत सुविधा पयाप्त नही है । राज्य सरकार का कहना है कि उसे और राहत और राशि की जरूरत है । इसके लिए विहार के मुख्यमंभी ने अतिरिक्त पैकेज की मांग की है ।विहार में कोसी की बाढ़ ने लाखो लोगो को बेधर कर दिया ।बाढ़ तो हर साल आती थी लेकिन एसा नजारा लोगो ने कभी नही देखा था ।१०० से अधिक लोग बाढ़ की चपेट में मारे जा चुके है और जानवरो का तो कहना ही क्या । अभी भी लाखो लोग अपने स्थानो तक नही पहुंच पाए है । और इस आस में है कि कबतक उनतक सरकार और स्वयंसेवी संस्थाऔ की नजरे जाती है ।कई लोग तो भूख के कारण मर गये । बहुतो को बचाया नही जा सका ...पानी के साथ वहते चले गए।उन्हे नही मालूम कि इस बार की बाढ़ उनके लिए इतना भयावह और विकराल ऱूप लेकर आएगी । और इस आस में है कि कबतक उनतक सरकार और स्वयंसेवी संस्थाऔ की नजरे जाती है ।कई लोग तो भूख के कारण मर गये । बहुतो को बचाया नही जा सका ...पानी के साथ वहते चले गए।उन्हे नही मालूम कि इस बार की बाढ़ उनके लिए इतना भयावह और विकराल ऱूप लेकर आएगी ।

नैनो का सपना था सपना हो गई नैनो

नैनो का विवाद दिनो-दिन गहराता ही जा रहा है ।अब तो स्थिति यह हो गई है कि सिंगुर की जनता टाटा संयंॊ प्रारंभ करने के लिए धरना देना शुरू कर दिया है ।यह धरना तब शुरू हुआ जब सिंगुर के विस्थापितो लिए सरकार ने पुनॆवास की योजना बनाई जिसको शनिवार को ममता बनजीॆ ने मानने से इन्कार कर दिया ।राज्य के महामहिम बुद्धदेव भट्टाचायॆ ने ममता बनजीॆ के साथ बैठक में प्रभावित किसानो को मुआवजा दोगुना करने और विस्थापित किसान परिवार के एक सदस्यो को एक साल के भीतर टाटा नैनो कम्पनी में नौकरी देने का वादा किया था । सिंगुर मे टाटा कम्पनी दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाने जा रही है ।लेकिन इस परियोजना में किसानो की जमीन लेने से नाराज विरोधी दल ममता बनजी का कहना है कि जिन किसानो ने मुआवजा नही लिया उन किसानो की जमीन लौटा देनी चाहिए।टाटा ने इस विरोध के चलते सिंगुर में काम बन्द करा रखा है । जिसे शुरू करने के लिए आम जनता आन्दोलन पर उतारू हो गई है । लेकिन इस बीच राज्यपाल गोपाल गांधी बातचीत के जरिए इसे सुलह करने की बात कही थी लेकिन मामले को विरोधी दलो ने तूल दे रखा है ..उधर टाटा का कहना है कि मामला जब तक साफ न हो जाए तब तक काम शुरू नही किया जा सकता है। सरकार का कहना है कि किसानो की ७० एकड़ जमीन लौटाई जा सकती है लेकिन ममता बनजी इतने से मानने को तैयार नही है। कुल मिलाकर पूरे मामले को ममता ने तुल दे रखा है । जो भी हो मामला अभी ताजा है और ममता अपनी रोटी अच्छी तरह सेक रही है। भ‍टटाचायॆ भी पहले पिछे नही रहे ..उनका भी किसान के प्रति लगाव बखूबी देखा गया ।कभी गरीबो और किसानो की मसीहा माने जानेवाली पाटी खुद गरीबो को गोली का शिकार बनाया । लेकिन अब ममता की बारी है वो लोगो का कितना दुख ददॆ बांटती है। कुल मिलाकर मामला राजनीति की विसात का है ।अब देखना है कि बिसात का असली मोहरा कौन होता है।

Thursday, September 11, 2008

विहार का बाढ़ और राजनीतिक मोहरा

विहार में बाढ़ का प्रकोप कम होता जा रहा है । राहत कायॆ भी तेजी से चल रहा है ..लेकिन लोगो की बिमारी ने सारे दाबे खोखले कर दिये है ।बीमारी से परेशान लोग राहत शिविर में लगे डाॅक्टरी सहायता पर टिके हुए है लेकिन बहुत कम नसीब वाले लोग है जिनतक ये सहायता पहुंच पा रही है ।सरकार ने लोगो को भगवान भरोसे रहने के लिए छोड़ दिया है ।हां सेना का कायॆ पूरी तरह से लाजबाब रहा ..सेना ने अपनी जान की बाजी लगाकर लोगो की मदद की ।और लोगो को बचाकर राहत शिविर तक पहुंचाया ।देशभक्ति का जज्बा सेना ने ही दिखाया ।

टेलीविजन चैनल और ‍टीआरपी

अभी टेलीविजन चैनल वालो का बाज़ार गरम है ..टीआरपी की होर ने उसे और भी अन्घा बना दिया है ...ख़बरे ऐसी कि दिल थाम जाए ...लेकिन कुछ ही पलो में वे आपको बता देंगे कि जो खबर आप जो देख रहे है उस खबर की सच्चाई हमने जान लिया है ...नित्य नये ढोंग बताये जा रहे है..

दुनिया का सबस् बड़ा बैजानिक प्रयोग और धमॆ की आस्था

क्या दुनिया समाप्त होनेवाली है ..खवरिया चैनलो ने तो लोगो को कुछ ऍसा ही एहसास कराया ..लोग दिल थामकर टेलीविजन सेट पर बैठे रहे कि शायद कोी िस प्रकार की ्नहोनी न हो जाे लेकिन ेसा कुछ भी नही हुा...भारत में जैसा माहौल तैयार किया गया वैसा माहौल जहां ७००० वैझानिक जुटे थे वहां भी नही था । आखिरकार लोगो को बकबास समझ मे आ गया ।

Saturday, September 6, 2008

मैं धीरज कुमार

मै पत्रकारिता में कदम रख रहा हूं । भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढाई पूरी करने के बाद दूरदशॆन में हूं । रोज नयी चीजे सीख रहा हूं । अभी तक तो हमारे कदम सही है । मूलरूप से मैं विहार के बेगूसराय का निवासी हूं ।