वेगूसराय से आगे बढ़ते ही जीरो माईल मिल जाता है । जीरो माईल पर रामधारी सिंह दिनकर की शानदार प्रतिमा स्थापित है जो बरअक्स सभी गुजरने वाले लोगो का ध्यान अपनी और खीच लेती है ।शायद इतनी भव्य प्रतिमा किसी कवि या लेखक की पूरे विहार में नही बनी हुई है ।दिनकर जी का जन्म यही के पास के गांव सिमरिया में हुआ था । इसी गांव से पढ़कर दिनकर जी राष्टकवि कहलाए । मौका २३ सितम्बर का था । दिनकर की जन्मशताब्दी के मौके पर प्रभास जोशी और अशोक वाजपेयी सरीखे लेखक वेगूसराय पहुंचे । इस दिन को खुशनुमा बनाने के लिए दूर-दूर से लोग सिमरिया पहुंचे थे । दिल्ली से भी कुछ लेखक और विद्वान पहुंचे । सभी लोगो ने अपनी राय ऱखी । जोशी और वाजपेयी जी ने भी दिनकर और उनकी कविताओ के संबंध में अपनी बेवाक टिप्पणी रखी । हालांकि वारिस ने मजा कुछ खराब जरूर कर दिया था कुछ ऐसे भी विद्वान थे जो यह कह रहे थे कि इस स्थिति में प्रोगाम संभव नही हो सकता है । लेकिन उस भयंकर वारिस में भी लोग मानने को तैयार नही थे । लोग जोशी जी और वाजपेयी जी के विचारो को सुनना चाहते थे । तेज होती मुसलाधार वारिस से पंडाल घटा की भांति गरज रहा था लेकिन लोग मानने को तैयार नही थे । आखिरकार अगले दिन प्रोगाम सम्पन्न किया गया । यहां के लोगो का कवि,साहित्य के प्रति काभी प्रेम रहा है और कायम है जिसका मिसाल यहां से ८ किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोदरगांवा गाव है जहां की विप्लवी पुस्तकालय का जोड़ा शायद विहार में नही है और अगर गांव की बात की जाये तो पूरे देश में नही होगा । इसी साल वहां प्रगतिशील लेखक संघ का सम्मेलन हुआ था । देश भर से विद्वान वहां जुटे थे । शायद आम जनता के जेहन में यह आया भी नही होगा कि गांव में इतने बड़े लेखक पहुंच भी सकते है । लेकिन यह साहित्यिक गांव ने इस सम्मेलन को सम्मपन कराया । दिनकर के जन्मशताब्दी के मोके पर भी यही नजारा देखा गया । दिनकर शायद इस धरती को साहित्यिक बना गये थे ।दिनकर की यह कविताये आज भी कवि,लेखको और पढ़ने वाले को अपनी और खीचती है । सुनी क्या सिन्धु मै गजॆन तुम्हारा
स्वयं युगधमॆ का हुंकार हूं मै
या,मत्यॆ मानव की विजय का तूयॆ हूं मै उवॆशी अपने समय का सूयॆ हूं मै।