स्वयंवर की कहानी से हमारा इतिहास भरा पड़ा है । रामायण और महाभारत की कहानियों में स्वयंवर की चचाॻ है । रामायण में राजा जनक ने सीता का वर चुनने के लिए स्वयंवर रचा था और इसी तरह का पसंग महाभारत में भी है जिसमें दोॺपदी की शादी के लिए लॿ्य को बेधने जैसे प्रसंग सीरियल के माध्यम से और किताबों के जरिये लोगो तक परोसा गया है । टीवी सीरियल के माध्यम से ऐसा ही एक रियलटी शो एनडीटीवी इमेजिन पर राखी का स्वयंवर के नाम से दिखलाया जा रहा है ।
धमॻ की समझ कम रखता हूं । कहने में थोड़ी झिझक जरूर है । क्योकि अख़वारों के माध्यम से यह पढ़ने को मिलता है कि आज की युवा पीढ़ी को धमॻ कीें जानकारी कम है और वे आधुनिकता के इस दौर में धमॻ से किनारा कर चलते है । या धमॻ को मानने के लिए तैयार नही है । धामिॻक कथाएं या धामिॻक अनुष्ठान उसे समझ से पड़े लगता है । या कहे कि वे सोचते है कि धमॻ की बाते सुनने या मानने के लिए उनके पास ज्यादा वक्त नही है । जो भी हो इस तथ्य से इन्कार नही किया जा सकता है ।
सीता विवाह के लिए धनुष को तोड़ना कितना मायने रखता था मुझे नही मालूम । धनुष को तोड़ने के जरिये वर के किस गुण को नापा गया था ये भी नही मालूम । आज तो वर ढ़ूढ़ने के वक्त लड़के के शिॿा परिवार और खानदान की बात होती है । उस समय का जो पैमाना था उस पैमाने में जिस कौशल को देखा जाता था यह एक अलग विचार का विषय है । शायद लड़के की अधिकता हुई होगी या फिर पहले से ही फिक्स होता होगा कि वही धनुष उठा सकता है । और वधु उसके गले में माला डालेगी ।
यही कहानी महाभारत में दोॺपदी के स्वंयवर में देखने को मिलता है । जो लड़का तिरंदाज होगा और मछली के आंख को बेध देगा उसी के गले में दोॺपदी वर माला डालेगी । यहां भी कुछ फिक्स ही नजर आता है । तीरंदाज और भी थे । कणॻ जैसे महारथी भी थे लेकिन उन्हे मौका नही मिला । अजुॻन ने यह कर दिखलाया और दोॺपदी बिना मन से पांच पांडवों की पटरानी बन गई । भला यह भी कोई स्वंयवर है मछली के आंख को बेधे अजुॻन और पटरानी बनी पांचों भाई की ।
यही कहानी राखी स्वयंवर में भी दिखलाया जा रहा है ।हां यहां पैमाना जरूर बदल गया है । राखी के पीछे लड़कों की भरमार है । हर किसी से रिस्ता तय होता है और अंत में जाकर रिश्ता टूट जाता है । या लड़कियों के शब्द में कहें तो राखी हर लड़के की बेइज्जती कर उसे ठुकरा देता है । भला ये भी क्या स्वयंवर हैं ।ये ही कहा जाता है कि लड़के भी राखी के साथ खेल खेलने ही आता है ।भला राखी क्या खे़लने की चीज है । जो भी आता है टांके डालकर चला जाता है । राखी का अंदाज भी अलग और लड़के का अंदाज भी जुदा-जुदा
रियल्टी शो चल रहा है । संस्कृति तार तार हो रही है । चैनल की कमाई हो रही है । और संस्कृति की लुटिया डुबोई जा रही है । राखी को पैसे मिल रहे है उसे कोई गम नही है । उसे तो लुटने के ही पैसे मिल रहे है । पैसे के पीछे तहजीव और रवायत को कौन देख रहा है ।वही हाल चैनलों का भी है । दशॻक के सामने अश्लील परोसा जा रहा है और मजा भी आ रहा है । देर मत कीजिए । राखी को आप भी मुहब्बत का मिसड काॅल मार सकते है ।
जय श्रीराम
10 years ago