Monday, March 16, 2009

बारूद के ढ़ेर पर खड़ा है पाकिस्तान

सन 1947 ....अंग्रेजों की वषो की गुलामी की पीड़ा से मुक्ति के बाद एक साथ दो देश का जन्म हुआ। जो भारत और पाकिस्तान कहलाया । आजादी का अंतर केवल एक दिन का है....14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारत । एक दिन के अंतराल ने भारत में एक कुशल नेतृत्व दिया और पाकिस्तान में एक अदद शासक । एक दिन के फासले ने भारत के गले में सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का तमगा लटका दिया और पाकिस्तान को बारूद के ढ़ेर पर ला खड़ा किया । 62 साल बीत चुके है॥भारत के लोकतंत्र ने ऊचाई पाई है....दुनिया के सामने मिसाल कायम किया है इसके बरअक्स पाकिस्तान में कभी सियासतदानो ने तो कभी हुक्मरानों ने तो कभी सेना ने अपने मकसद के लिए इसे तार-तार किया है । छह दशक से अपने लंबे काल में कभी सियासतदानों और कभी सेना ने इस मुल्क को कुचला है । और हर बार की तरह सेना के बूटों तले जम्हूरियत ने सिसकियां भरी है...और आज हालात ऐसे हो चले है कि फिर लोकतंत्र अपने आसुंओं पर रोनेवाला है लेकिन उसे पोछनेवाला दूर-दूर तक दिखाई नही दे रहा है ।
हालात के केन्दॺ में राष्टॺपति जरदारी,युसुफ रज़ा गिलानी और सेनाध्यॿ परवेज अशरफ़ कियानी है । अगर थोड़ा पीछे जाए तो मुशरॻफ से मुक्ति से पाकिस्तान को ज्यादा बक्त नही बीते है । काफी हंगामे और खूनखराबे के बीच वहां जम्हुरियत लौटी है...लोकतंत्र का सूरज उगने से पहले इस लोकतंत्र की आहट को जन-जन तक पहुंचाने वाली बेनजीर को रूकसत होना पड़ा । जरदारी साहब को यह कुसीॻ बेनजीर के फना हो जाने से मिली है...आज उसी लोकतंत्र का जरदारी उपहास कर रहे है और इस हालात पर ला खड़ा किये है जहां से पाकिस्तान विनाश के अलावा किसी पथ को नही चूम रहा है । हालात तो फिर बैसे ही होते जा रहे है । जो साल 2007 में थे ।
कियानी साहब को भी इस सत्ता के लिए मेहनत नही करना पड़ा । मुशरॻफ ने वफादारी के लिए उनको कमान दे दिया और जिन्दगी भर वफा का जामा लटका कर रहने को कहा । जिसके कारण शायद मुशरॻफ को अपने जान से हाथ नही गंवाना पड़ा । जैसा कि पाकिस्तान के इतिहास में रहा है कि कोई भी तानाशाह सेना का पद छोड़ने के बाद जिन्दगी नही जीया है लेकिन मुशरॻफ ने इतिहास पलटा है । नामालूम कियानी ने कितनी वफादारी दिखाई है मुशरॻफ को बचाने में । इतिहास ने तो यही सिखलाया है कि हर तानाशाह के साथ गद्दारी ही हुआ है । चलों मुशरॻफ साहब तो अभी जी रहे है ।
गिलानी कही फिंट नही बैठते है । हो सकता है कि वे कृपापात्र हो जिसकी बजह से पीएम की कुसीॻ तक पहुंच गए है । इस बीच पाकिस्तान का मामला फिर गरमा गया है । जजो की बहाली को लेकर जो विरोध शरीफ साहब ने किया था वह बीच में दुम हिलाने लगा था लेकिन फिर से वह मुद्दा तुल पकड़ने लगा है इसके बरअक्स हालात यह है कि शरीफ साहब ने यह ऐलान तब किया है जब उनके भाई को चुनाव लड़ने से रोका गया है । क्या शरीफ साहव ने इसी के कारण पूरे देश में आन्दोलन करने का ऐलान किया है जबकि कयानी ने राष्टॺपति जरदारी को तीन दिनो के भीतर पाक में हालात को ठीक करने को कहा है । क्या है फिर कियानी की पुराने तानाशाहों की पुनरावृत्ति तो नही है । या फिर भीतर से कुछ समझोता हो रहा है जो कियानी को इसके लिए तैयार कर रहा है ।
पता है कि पाकिस्तान ने अपने आधे से अधिक समय सेना के बदीॻ के तले जिया है । सेना ने यहां समय-समय पर आबाम को कुचला है और नागरिक को हर बंधनों से बंधने पर मजबूर किया है । तो क्या ताजा हालात इसी की और इशारा कर रही है ...क्या पाकिस्तान फिर सेना के चंगुल में जा रही है । जरदारी तो यह नही स्वीकारते है लेकिन सच्चाई यह भी है कि जरदारी को जो सत्ता मिली है उन्होने उसका दुरूपयोग ही किया है । शांति के नाम पर उन्होने पाक में कुछ नही किया है । फिर पाक में बेनजीर की हत्या पर मिली सत्ता से वे क्या हासिल करना चाहते है ॥समझ से परे है ।
शरीफ,जरदारी ,गिलानी और कियानी नायक है वत्तॻमान पाकिस्तान के...लेकिन यहा ंके सियासत की सबसे बड़ी दुविधा रही है कि नायक ही खलनायक की भूमिका में होते है । यही तो दस्तूर रहा है आजतक के पाकिस्तान का । हर एक की राजनीति के पीछे वहा की सियासत का इस्तेमाल किया गया है ।

12 comments:

Harshvardhan said...

nice post lagi.. pak ke halat din par din bad se badtar hote ja rahe hai... bhartiy darshan me acharya ramanuj kaha karte they jis parkar andhakar aur prakash sath saath nahi chal sakte.. pak ke abhi ke prasang me agar hum isko lagu karein to waha par bhe sena aur sarkar sath saath nahi chal sakte..
aane wale samay me wahan par halat badtar hoyenge aise asha ki ja salkti hai.. waha democray ka sada se gala ghota jata raha hai

harsh pandey ,

Dr.Bhawna Kunwar said...

eak sateek post likhi hai aapne...

राज भाटिय़ा said...

जो देश बना ही लाशे बिछा कर ओर नफ़रत की नींब डाल कर, ओर आज तक वहां पेदा होते बच्चे को सिर्फ़ नफ़रत ही सीखाई जाती है तो उस देश का हाल ओर क्या हो सकता है. लेकिन्तरस आता है उस गरीब जनता पर जो मर रही है वहां
आप ने बहुत ही सुंदर ढंग से यह लेख लिखा.
धन्यवाद

नीरज गोस्वामी said...

जजों की बहाली हो गयी है सुना है पकिस्तान फिर से सामान्य हो रहा है....लेकिन कितने दिन तक सामान्य रह पायेगा...ये एक ऐसा प्रश्न है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है...
नीरज

अभिन्न said...

आज के हालत पर आपकी पैनी नजर ओर पैनी लेखनी को सलाम,वाकई ये बहुत बड़ी विडम्बना है की लगभग एक ही समय में आजाद हुए दो देश ( दूसरा आजाद नहीं बल्कि पैदा हुआ)आज तक के सफ़र में कहाँ कहाँ आकर खड़े हो गए ....वाकई बारूद के देर पर है पकिस्तान ....वंहा की आवाम का तो पता नहीं बल्कि हुकुमरान ओर मिलिट्री तो अपने अपने वजूद की रोटियाँ हिन्दुस्तान से नफरत ओर गलतफहमियों पर ही सेंक रहे है .बहुत अरसे बाद कुछ मौलिक ओर सटीक पढने को मिला .धन्यवाद

seema gupta said...

" very well expressed in detail.....rightly said...but pakistan is not worried at all about any thing..."

regards

hem pandey said...

पाकिस्तान के बारे में आपने सही लिखा है. लेकिन चिंताजनक तथ्य यह है कि इससे हिन्दुस्तान को भी ख़तरा बढ़ता जा रहा है.

sandhyagupta said...

Vastav me ek asthir Pakistan Bharat ke liye bhi khatra hai.Jitni jaldi wahan haalaat sudhren utna hi behtar.

रंजना said...

शीर्ष नेत्रित्व यदि सही न हो तो देश की ऐसे ही अधोगति हो जाती है...बहुत सही लिखा है आपने.

Unhone vinaash boya tha to wahi katenge na.

mark rai said...

sir aapake blog par maja aa gaya .. sach puchhiye to khalihaan kadarshan ho gaya . aap mere blog par aaye isake liye thanks....

Science Bloggers Association said...

सही कहा आपने। यह बारूद कब फट पडेगा, कहा नहीं जा सकता।

अरविन्द श्रीवास्तव said...

धीरज भाई, मै मधेपुरा से हूँ, आपने कविता पसंद किया शुक्रिया, संवाद कायम रहे…