Saturday, September 13, 2008

नैनो का सपना था सपना हो गई नैनो

नैनो का विवाद दिनो-दिन गहराता ही जा रहा है ।अब तो स्थिति यह हो गई है कि सिंगुर की जनता टाटा संयंॊ प्रारंभ करने के लिए धरना देना शुरू कर दिया है ।यह धरना तब शुरू हुआ जब सिंगुर के विस्थापितो लिए सरकार ने पुनॆवास की योजना बनाई जिसको शनिवार को ममता बनजीॆ ने मानने से इन्कार कर दिया ।राज्य के महामहिम बुद्धदेव भट्टाचायॆ ने ममता बनजीॆ के साथ बैठक में प्रभावित किसानो को मुआवजा दोगुना करने और विस्थापित किसान परिवार के एक सदस्यो को एक साल के भीतर टाटा नैनो कम्पनी में नौकरी देने का वादा किया था । सिंगुर मे टाटा कम्पनी दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाने जा रही है ।लेकिन इस परियोजना में किसानो की जमीन लेने से नाराज विरोधी दल ममता बनजी का कहना है कि जिन किसानो ने मुआवजा नही लिया उन किसानो की जमीन लौटा देनी चाहिए।टाटा ने इस विरोध के चलते सिंगुर में काम बन्द करा रखा है । जिसे शुरू करने के लिए आम जनता आन्दोलन पर उतारू हो गई है । लेकिन इस बीच राज्यपाल गोपाल गांधी बातचीत के जरिए इसे सुलह करने की बात कही थी लेकिन मामले को विरोधी दलो ने तूल दे रखा है ..उधर टाटा का कहना है कि मामला जब तक साफ न हो जाए तब तक काम शुरू नही किया जा सकता है। सरकार का कहना है कि किसानो की ७० एकड़ जमीन लौटाई जा सकती है लेकिन ममता बनजी इतने से मानने को तैयार नही है। कुल मिलाकर पूरे मामले को ममता ने तुल दे रखा है । जो भी हो मामला अभी ताजा है और ममता अपनी रोटी अच्छी तरह सेक रही है। भ‍टटाचायॆ भी पहले पिछे नही रहे ..उनका भी किसान के प्रति लगाव बखूबी देखा गया ।कभी गरीबो और किसानो की मसीहा माने जानेवाली पाटी खुद गरीबो को गोली का शिकार बनाया । लेकिन अब ममता की बारी है वो लोगो का कितना दुख ददॆ बांटती है। कुल मिलाकर मामला राजनीति की विसात का है ।अब देखना है कि बिसात का असली मोहरा कौन होता है।

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