केबिनेट मीटिग में दिल्ली बम धमाको का जिक्र चल रहा था। लालू प्रसाद को छोड़कर सभी मंत्री शामिल हुए थे । वे विशेष कारणो से शामिल नही हो सके । सभी मंत्रियो ने अपनी-अपनी राय रखी। प्रधानमंत्री स्वयं भी इस मामले पर काफी संवेदनशील दिख रहे थे । किसी ने कहा कि आईबी ठीक से काम नही कर रही है तो किसी ने तालमेल की बात उठाई । खुद प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारी अधिकारियो में तालमेल नही होने के कारण इस तरह की घटनाए हो जाती है और खुफिया विभाग देखती रह जाती है । एक अलग से एजेंसी की बात भी चली लेकिन आवाज आई कि जितनी एजेसी देश मे काम कर रही है अगर उतने को हो ठीक-ठाक कर दिया जाए तो हम आतंकवाद से निपट सकते है ।लेकिन सवाल गहराता जा रहा है कि सरकार ने धमाको से पूवॆ इस प्रकार की कानून व्यवस्था तैयार क्यो नही की और हर धमाका हो जाने के बाद इस प्रकार की मीटिंग और फैसले क्यो लिये जाते है । सरकार ने इस प्रकार का वयान देकर खुद को कमजोर सावित किया है ।एसे भी आम हलको से यह आवाज आती रही है कि यह सरकार आतंकवाद के मसले पर हमेशा कमजोर कदम उठाती रही है । खुद गृहमंत्री का यह वयान कि मुझे इस प्रकार की घटनाओ की पहले से जानकारी थी क्या दिखलाता है कि अगर सरकार के पास इस प्रकार की सूचना थी तो सरकार क्या कर रही थी ।क्या सरकार को इस प्रकार की घटना होने से किसी प्रकार का सरोकार नही रह गया है ।सरकार केवल वोट के लिए काम कर रही है । आखिरकार अगर हमारे पास इस प्रकार के खुफिया तंत्र पहले से है तो चुक कहां से हो रही है । सवाल खत्म होने का नाम नही ले रहा है ।फिलहाल हम सबो को इस पर गहन चिंतन करना है ।
No comments:
Post a Comment