Friday, November 14, 2008

बाल दिवस पर चाचा नेहरू याद आए

आज चाचा नेहरू याद आ गए । बच्चों और गुलाब से बेहद प्यार करते थे । बच्चे भी नेहरू जी से काफी स्नेह रखते थे और प्यार से चाचा कहकर पुकारते थे । इसीलिए नेहरूजी के जन्मदिन को बच्चे बाल दिवस के रूप में मनाते है । उम्मीद होती है कि नेहरू के कदम पर चलकर बच्चे देश के विकास में योगदान करेंगे । यही नेहरू जी का भी सपना था । नेहरू कहा करते थे कि इन्ही छोटे बच्चे के कंधे पर देश की आने वाली जिम्मेवारी है । ये बच्चे देश के भविष्य है । भविष्य की नौका के खेवनहार है । इन्ही ख़बरो से अखबार ,न्यज़ सारा पटा हुआ है । जहां तक खबर पलटते है चाचा हर खबर के पीछे प्यारे गुलाब और गुलाब के समान बच्चो से घिरे नज़र आते है । लिपटे नजर आते है । देखकर ऐसा लगता है कि चाचा का और देश के ख़्वाबो की ताबीर मुकम्मल हो चुकी है । अब कोई भी बच्चा इस देश में सुख-सुबिधाओ से महरूम नही है । हर बालक को शिक्षा ,स्वास्थय की सुविधा मिल रही है । ऐसे में तो नेहरू का सपना पूरा होने जैसा लगता है
आसमान को चीरता बिमान ,तेज दौड़ती कारें, सर के ऊपर से गुजरता फ्लाईओवर, आसमान को छूता सेंसेक्स, ऊची इमारतो की खिड़कियो से झांकते रईस । ये भारत के तरक्की के संकेत है । नेहरू के ख्वाब का हक़ीकत में बदलने के संकेत है । लेकिन जो असली हकीकत है उस औऱ ध्यान देने को तैयार कोई नही है । और न ही उनलोगो को इस बातो से कोई रिश्ता नाता है । देश विकास के पथ पर है इससे सड़क पर मैंगजीन बेचनेवाले और पेट की जुगत में कठोर काम करनेवाले बच्चे को क्या पता है कि बालदिवस के मायने उसके लिए क्या है । और बालदिवस क्यो मनाया जाता है । उसे तो केवल यह पता है कि पेट की आग को शांत करने के लिए और अपने परिवार की भूख को मिटाने कि लिए हमें काम करना है । उम्र जो भी हो लेकिन काम करना है । तभी तो नेहरू का सपना पूरा होगा । एक तरफ खाने को लाले है तो दूसरी तरफ मोटापे से जूझते फैशन की लत में डूबे बचपन है। एक को घर में नींद नही आती है तो दूसरे के लिए खुला आसमा ही घर दिखता है । और खुले आसमान के नीचे गहरी नींद में सोता है । एक को घर का खाना स्वादिष्ट नही दिखता है तो पापा उसके लिए फास्ट फूड बाज़ार से लाते है । एक को दो जून रोटी के लाले पड़े है । सचमुच नेहरू का सपना साकार होता प्रतीत होता है । शायद इसी सपने के कारण नेहरू हर बाल दिवस पर याद आते है
ये कंधे कितने बोझ उठा सकते है । इन कंधो पर कितनी शक्ति शेष रहेगी जब ये जिम्मेवारी उठाने के लायक हो जायेगे । जब वे बड़े होगें तो उन्हे बचपन की वो मासूमियत याद रहेगी । आखिर किसके कंधे पर नेहरू इस देश की जिम्मेवारी सौपना चाहते है । क्या नेहरू का सपना साकार होने वाला है ।

5 comments:

अनुपम अग्रवाल said...

पूरा हो अगर तो फ़िर सपनों की क्या दरकार
इसीलिए तो ये सपना पूरा नहीं होता साकार

seema gupta said...

" very good artical written with full efforts and emotions... keep it up"

Regards

डॉ .अनुराग said...

सच कहा आपने .बस भाषा का फक है .हमने सोचा तो एक जैसा ही....

hindifaq said...

बहुत ही अच्छे तरीके से आपने बाल दिवस के बारे मै लिखा है :)

Sarkari Result said...

Wish you a very 26 January Happy Republic Day 2019 to all of you. January 26 is our Republic Day. We celebrate this day every year. In 1950, our India became a sovereign democratic republic and it had its own constitution.