Wednesday, January 14, 2009

सत्यम के बहाने आम लोगो के ददॆ को समझने की कोशिश

हैदराबाद की मशहूर कम्पनी सत्यम ने जो जालसाजी और ठगी का खेल दिखाया है उससे यह सावित हो गया है कि हमारे देश में भागवत गीता पर हाथ रखकर झूठ ुउगलवाने की जो प्रथा चल रही है उसमें कितनी सच्चाई है । मुझे नही लगता है कि गीता पर हाथ रखकर जो बोला जाता है उसमें दस प्रतिशत भी सच्चाई का अंश होताी है । खैर,मसला सत्यम का है जिसने एक चीज तो अवश्य सावित कर दिया है कि इस देश में सफेदपोश लोगो के लिए कोई बन्दीश और जेल की कालकोठरी नही होती,और न ही उसके दिल में सलाखों के पीछे होनेवाले यानताओं का कोई डर होता है । िसत्यम के संस्थापक राजू साहब के मामलें में यही इतिहास दोहराया जा रहा है । आम लोगो के निवेश उड़ गए ...राजू साहब माला माल हो गए ...लोकतंत्र होने का ददॻ तो गरीब लोगो को ही उठाना पड़ता है ।
अपने देश में ग़रीब लोगों के खिलाफ सबकुछ जायज है । अभी हाल ही में तो बीएमडब्लू कांड का फैसला सामने आया था जिसमें इस सच्चाई का खुलासा हुआ कि कैसे एक अमीर रईसजादे के बच्चे रात में शराब पीकर कार चलाते है और गरीबों और पटरी पर सो रहे लोगों को कुचलकर चले जाते है ,इसके बाबजूद अपना जुमॻ कुबूल नही करते है । संजीब नंदा का बयान और उसके उधोगपति पिता का इस मामलें में दखलअंदाजी किसी से छुपा नही है । उपहार कांड में 13 जून 1997 में बाडॻर फिल्म रिलीज का दिन भी लोगों के जेहन से हटा नही होगा ...इस कांड में कितने लोगो ने अपने जीवन की आखिरी फिल्म देखी ...इसमें जो फैसला आया वह भी लोगों से छुपा नही है और न ही अंसल बंधुओं का चरित्र ही लोगो से शायद छुपा होगा । आखिरकार उस मौत के लिए क्या हुआ और दोषियों को कितनी सजा मिली,आज भी अनसुलझी पहेली बनी हुई है । क्योकिं मरने वाले सारे लोग गरीब तबके के थे ...अंसल बंधुओं के उंची कद के आगे ये लोग बौने सावित हुए ....और सच को धोखा देती झूठ एक बार फिर जीत गई और सच हमेशा की तरह हार हुई ।
हषॻद मेहता और केतन पारीख जैसे महारथी ने कई हजार करोड़ रूपये का घोटाला कर लाखो लोगो को चूना लगा चुके है । असलियत यह है कि जितना बड़ा जालसाजी या फरेब होता है अपराधी उतनी ही तेजी से बाहर निकल जाता है और मुक्त भी हो जाता है । आम लोगो ंके हाथ में कुछ नही रह जाता है । इस तरह की कई घटनाए देश में होती रहती है और आम जनता इस चक्की में पिसते चले जाते है । राजू के सफरनामें में भी ऐसा ही लगता है । कभी आईटी कम्पनी के होनहार मानेवाले राजू बिल क्लिंटन तक के साथ मंच पर साथ नजर आए है ....राजनीतिक रसूख में वे प्रधानमंत्री तक की पहुंच रखते है...जैसा कि राजीव गांधी की मृत्यु के पश्चात जब नरसिंह राव देश के प्रधानमंत्री बने तो यह सच उजागर हुआ कि राजू के संबंध वहां तक थे । इसी राजनीतिक विरासत से आगे बढ़ने वाले राजू ने फिर पीछे मुड़कर नही देखा । और हर उंचाई को छुआ ।
लेकिन सत्यम कम्पनी में जो हुआ उसके बारे में किसी को कोई अन्देशा नही था । विशेषॾ भले इसे आथिॻक आतंकवाद करार दे रहे हों लेकिन सच्चाई यह है कि ेइस चक्की में पिसे जाने का डर किसी को नही ोहै । क्योकि आम जनता ही इसमें पिसी जाएगी । राजू किसी न किसी तरह बाहर आ जाएगे ...गीता की कसम खाकर वे सच्चाई का बखान भी कर देगे । लेकिन एक प्रश्न जो बार-बार जेहन में हिलकोरे मारता है कि आखिर सरकार का ये रवैया आम जनता के लिए क्यों है । सरकार पहले से चेत जाती तो इस तरह का कारनामा नही होता । हर घटना होने के पश्चात सच्चाई की खोज क्यो की जाती है । लगता नही है कि अब इस देश में सत्यमेव जयते का कोई अथॻ रह गया है ।

2 comments:

राजीव करूणानिधि said...

उसी का ईमान बदल गया है, कभी जो मेरा खुदा रहा था.

बहुत खूब मेरे भाई. यूँ ही लिखते रहिये. बधाई.

प्रदीप मानोरिया said...

यथार्थ सटीक सार्थक