Saturday, February 7, 2009

आईपीएल की मंडी में सभी बिकने को तैयार हैं

केविन पीटरसन और ंएंडॺयू फ्लिंटाॅफ को राजस्थान और चेन्नई की टीम ने क्रमशः अपनी झोली में डाल लिया । अब ये खिलाड़ी आईपीएल की मंडी में सबसे मंहगे खिलाडी बन गए । इनकी दोनो की बोली 7।5 करोड़ रूपए में लगाई गई । इससे पहले यह ताज भारतीय टीम के युवा कप्तान महेन्दॺ सिंह धोनी के हाथ में था । और वे दुनिया के सबसे मंहगे खिलाड़ी धोषित हुए थे । अब धोनी पर पीटरसन और फ्लिंटाफ भारी पर गए । जिसकी आशंका बाजार में पहले से लगाई जा रही थी....बोली लगाने के लिए आएपीएल की सारी हस्तियां गोवा में जुटी हुई थी । इस बार शिल्पा शेटटी ने भी एक टीम खरीदी है...जूही भी शामिल हो गई है । इससे पहले केवल प्रीति जिंटा ने ही इसमें शिरकत की थी और मोहाली टीम का अपने हिस्से में रखा था । जो भी हो फिलहाल चचाॻ बोली को लेकर है ।
आईपीएल की मंडी में क्रिकेट को इस कदर ला खड़ा किया है कि यह क्रिकेट कम मनोरंजन ज्यादा दिखने लगा है । एक ऐसा खेल जो लोगो को फटाफट चोको-छक्कौ की बौछार दिखाए और देखने वाले भी तीन धंटे में अपने घर में आराम फरमाए ...मसलन यह दास्तान भी यहां जरूरी नही है ....लोगो को इस फारमेट के बारे में सारी जानकारी हासिल है । मसला है खेल का ंंमंडी में तब्दील होने का और उसमें ग्लैमर का समाहित हो जाने का । आखिर जेंटलमेन का गेम कही जाने वाले क्रिकेट को ऐसी ग्लैमर की हकलान क्यो आ पड़ी...कभी यह खेल सादगी का माना जाता था अब इसका स्थान चीयर लीडसॻ ने ले लिया है । भला जेटलमेन गेम को चीयर लीडसॻ का कैसा जुनून । इसी को समझने की जरूरत है ।
दरअसल क्रिकेट का यह गेम पैसे की मंडी बनता जा रहा है । जहां इसमें खिलाड़ियों के लिए पैसे की भरमार है तभी तो इसमें कमाई के लिए फिल्मी हस्तियों ने भी शिरकत करना शुरू कर दिया और पूरे फामेट को ही बदल डाला । पहले टीम चुनने के लिए विशेषॾ की टीम हुआ करती थी जो अपने हिसाब से टीम चुनती थी अब उनकी जगह शाहरूख खान।प्रीति जिंटा और जूही चावला जैसी सिने हस्ती ने यह काम शुरू किया है । यह न तो पदेॻ पर दिखलाने वाला क्रिकेट है और न ही लगान जैसे किरदार को निभाने के लिए बनाया गया सक्रिप्ट है .....आखिर यह कैसा क्रिकेट है .... जहां सब कुछ पैसे के खेल से होता है ।
क्रिकेट की मंडी में ढ़ल जाने का यह खेल बाज़ारबाद से शुरू होता है....जहां हर चीज की एक रकम होती है । और उसमें जाने वाले से लेकर हर समान तक बिकाऊ होती है ....अंतर बस केवल उसके महत्व का होता है । जिसमें जितनी छमता होती है उसका उतना बोली लगा दी जाती है .... बस बाजार का काम चलता रहता है ॥इसमें किसी तरह के विशेषता की बात नही होती है ...जैसे कहा जाता था कि सबकुछ पैसे से खरीदा जा सकता है उसकी शुरूआत देखने को मिल रहा है......फिर शमीॻदगी की बात तो वहां आती है जब खिलाड़ी बिकने को तैयार हो जाते है... भाई यह कैसी बिकने की प्रथा है.....उसमें भी गवॻ से बिकता है । खासा इंतजाम तो दशॻको के लिए भी होता है जिनका मनोरंजन के लिए चीयर लीडसॻ अपना बदन दिखाने को हाजिर रहती है और तरह-तरह से बदन की नुमाइश का मुजाहिरा करते है ..... कहने का मतलब है कि अब दशॻक भी बिक कर वहां पहुंचते है ....चौके -छक्कौ को देखने या जिस्म देखने का चस्का उन्हे लग गया है....अगर वाकई क्रिकेट तो फिर उनका क्या काम ।
जी बाजार में कुछ समझ में नही आता है ..... पता नही सड़को पर चलते हुए हम बिके हुए हो ...और शाम के वक्त ही हम अपनों के लिए हो .... बाकी बक्त को हम बाजार के चाकर है .... यह तो सब बिके हुए है । खरीददार की कमी नही है बस मौका तो दीजिए । लेकिन इस बाजारवाद ने सारी हदे पार कर दी है । फिर हम तो यही कह सकते है कि अपनी जमीर को मत बेचना बरना कुछ साथ में नही रह जाएगा ।


6 comments:

Dr.Bhawna Kunwar said...

Bahut acha lekh likha ha aapne...

aapko ammaji ki racna achi lagi abhari hun mera blog ye ha....

http://dilkedarmiyan.blogspot.com/

BrijmohanShrivastava said...

भगवान् ,ईमान ,जमीर सब कुछ तो बिकने तैयार है क्या कीजियेगा ,किस किस से (मतलब कौन कौन से ) मना कीजियेगा

राजीव करूणानिधि said...

बहुत बढ़िया...आभार..

sandhyagupta said...

Sab bazar ki maya hai..

Atul Sharma said...

धीरज जी
आपका जानकारी से भरा आलेख पढा। बहुत अच्‍छा लिखा है आपने। आप अपने ध्‍येय में सफल होंगें ऐसी मेरी शुभकामना है।

kumud said...

vary nice and thanx for the commend.