पांच राज्यो के चुनाव परिणाम की गिनती ८ दिसम्बर को होनी थी । इससे पहले ही २९ नवम्बर को ख्त्म हुए चुनाव के बाद दिल्ली की चुनावी कचहरी आराम फरमा रही थी । बस इंतजार था कि परिणाम किसके राजसुख के नाम होगा । दिल्ली में शीला सरकार अपना अगला कायॆकाल फिर से आगे जारी रखेगी या सीएम इन वेटिंग विजय कुमार मलहोत्रा बाजी मार ले जाएगे । सुवह साढे छह बजे टेलीविजन का स्विच दबाने पर शीला अपने लांन में टहलती नजर आई । पत्रकारो की नजर उनके उपर गई मनाना शुरू कर दिया ,काफी मानमनौवल के बाद शीला ने एक प्रश्न का जबाब देने को हाजिर हुई । उससे जो जबाब आए उससे दिल्ली की तस्वीर साफ नही हो रही थी । शीला ने साफ तौर पर कहा था कि हम कंफिडेट नही है कि सरकार वना पाएगे या नही । उसके बाद अन्य चैनल भी दिल्ली में परिवत्तन की बात पर जोर दे रहे थे और कांग्रेस की तरफ से पसरे सन्नाटो से चुनाव का मिजाज टटोलने की कोशिश कर रहे थे । मलहोत्रा जी ज्यो ही पत्रकारों से मुखातिब हुए दिल्ली में अपनी पक्की जीत का दिलासा पत्रकारो और आम जनता को दिया । स्थिति किसी तरह से कांग्रेस के उलट ही दिख रही थी ।
राजस्थान ,मध्यप्रदेश औऱ छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम का आकलन शायद लोगो को और चैनलो को पहले से था । इन राज्यो की स्थिति साफ नजर आ रही थी । राजस्थान में सिंधिया का जाना औऱ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा का दुबारा बने रहना साफ दिखाई दे रहा था लेकिन दिल्ली की सुखॆ राजनीति बूढी हो चली कांग्रेस और बूढ़ी हो चुकी शीला के हाथो निकलने का डर कांग्रेसियो को शायद सता रहा था । लोगो से बातचीत में किसी ने यह नही बताया था कि कांग्रेस दुबारा सत्ता की खुश्बू ग्रहण कर पाएगी । भाजपा यहां कई मुद्दो को जीवंत बनाने की नकाम कोशिश में कोई कसर नही छोड़ी थी । डिनर से लेकर डिल्लोमेसी तक में हर जगह वह कांग्रेस को मात देने के लिए उग्र दिख रही थी । मुद्दे अहम थे । मंहगाई दिल्ली सरकार की विसात में सुराख डालने की तरह था । लोगो के रूह में प्रवेश करा दिया गया था कि मंहगाई सरकार की देन है और अब आम जनता का दिल्ली में रहना आसान नही है । आतंकी हमले केबिनेट से लेकर दिल्ली सरकार की कुसी तक हिला देने के लिए काफी था । शिवराज पाटिल के कपड़े बदलने ने का्ग्रेस की फजीहत करा दी थी । सीलिंग का मुद्दा पहले ही शीला सरकार की कमर तोड़ चुका था । लग रहा था कि दिल्ली के दुकानों में लगे ताले शीला सरकार के मुख्यालय में ताले लगवाने के लिए काफी है । हर तरफ से सरकार घिरती दिख रही थी । इतने के बाबजूद शीला ने स्टार न्यूज और अन्य चैनलो पर जज्बे को बनाए रखा था और मुश्किल भरे सवालो को जबाव आसानी से दे रही थी । हर जबाव विरोधियो को धराशायी करने के लिए काफी था । इस चुनाव में ज़नता ने एक चीजे साफ कर दी । विकास ने राजनीति के हर हथकंडे को नाकाफी सावित कर दिया । शीला के विकास,दिल्ली के गली-गली में सुख-सुविधा ने आम लोगो के विश्वास को बनाए रखा । शीला ने एक बार फिर भाजपा को बाहर का रास्ता दिखला दिया ।
जय श्रीराम
10 years ago
1 comment:
शुक्रिया, मैंने आपके लेख पढ़े. ज्वलंत मुद्धो को उठाने के लिए आपका प्रयास सराहनीय है.
- ऐसे हालात से मन दुखी है. इसलिए कवितायें फूटती हैं,
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