भारत एक लोकतांत्रिक देश है और विचारों की असहमति लोकतंत्र की सेहत व उसकी प्रामाणिकता की एक अनिवायॻ शतॻ मानी जाती है । हमलोग भी आम जिन्दगी में विचारो ंके असहमति और आदान-प्रदान को समाज और उससे जुड़े लोगो के लिए बेहतर मानते है । इससे संबंध प्रगाढ़ होते है और दूरिया कम होती है । लेकिन क्या हम उस परिस्थिति में ऐसी बेजुवानी टिप्पणी को पसंद करेगें जहां आतंकवाद के नाम पर पूरे देश और संसद में राष्टीॺय सहमति बन रही हो...उससे मुकाबला करने के लिए सभी दल एकजुट हो रहे हो। वैसी स्थिति में ए।आर। अंतुले के वयान से हम क्या आकलन कर सकते है राष्टीॺय सहमति पर लगी इस चोट का हवाला हम इसलिए दे रहे है क्योकि हमारे देश के लोकतंत्र में एक दुभाॻग्यपूणॻ स्थिति यह रही है कि यहां राष्टीॺय सहमति कभी बन नही पाती है इसलिए कई प्रयास सरकार की और से किये भी जाते है जो शायद दिखावा या सही भी हो सकता होै लेकिन इस बार ऐसा लगाा कि मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमलों के बाद पूरा देश और संसद एक साथ है । आतंकी ताकतो से मुकाबला करने का मन बना रही है । और वह कदम उठाने को तैयार है जो असली में न सही सियासत और कूटनीति की बिसात पर हीी लोकतंत्र को बचाने के लिए संभव हो । वैसी स्थिति में यह वयान किसी तरह से एक राष्टीॺय पाटीॻ के संसद को शोभा नही देता है बल्कि बेतुका नजर आता है ।
हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान बारूद के ढ़ेर पर टिका हुआ है । आतंकवादी संगठन ने देश को इस कदर जकड़ लिया है कि वहां सरकार नाम की कोई चीज नही है । सेना प्रमुख आईएसआई के मुखिया है जिनका काम ही पड़ोसी मुल्क में आतंक और दहशत फैलाना है लोगो का अमन चैन छीनना है ऐसे जनरल से हम किसी तरह की उम्मीद भी नही रह सकते है जो हमे ऐसी ताकतो से लड़ने में मदद करेंगे या यू कहें कि अपने देश में तालीम ले रहे आतंकवादी संगठनों पर किसी तरह का लगाम लगाएगे । पाकिस्तान का राष्टॺपति एक ऐसा व्यक्ति है जो खुद पाकिस्तान में मिस्टर टेन परसेन्ट के नाम से मशहूर है ।सारी दारोमदार जनरल परवेज अशफाक कियानी पर है जो शायद परवेज मुशॻरफ के देशी औलाद है क्योकि बिना आकलन के भारत जैसे देश को धमकी दे रहे है कि हम भारत का कड़ा विरोध करेगें । ऐसी स्थिति में देश का एकजुट होना देश के लिए एक संजीवनी का काम कर सकता है और विदेश नीति तक में सहायक हो सकता है ।
देश की एकजुटता की यह मिसाल है कि पाकिस्तान पहली बार इतनी दवाब की स्थिति में है ।ाअगर भारत विश्व जनमत को इस आतंक की जन्मभूमि पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट करने में सफल हो पा रहे है तो यह इसी राष्टीॺय सहमति की वजह से संभव हो पाया है । आज पाकिस्तान दुनिया के सामने अपना वचाव नही कर पा रहा है तो यह इसी का परिणाम है । आज अंतुले ने करकरे की शहादत पर जो सवाल उठाकर छोटापन दिखाया है तो सेंध उस राष्टीॺय सहमति में लगी है जिसकी वजह है कि भारत पाक को विश्व अदालत की कटधरे में बंद नही कर पा रहा है । यह बात अंतुले को सोचना चाहिए ।
यह हमारी राष्टीॺय सहमति का ही नतीजा था कि हम जन्मजात शत्रु पाकिस्तान को 1965 और 1971 के युध्द में धूल चटा चुके है । 1962 में चीन के हाथो पराजय के बाबजूद हमारा राष्टीॺय मानस पराजय का नही बना । कारगिल में भारतीय जवान के कारनामें को शायद पाकिस्तान भूल नही पाया होगा । एक बार फिर हम हिंद देश की और से हुंकार भर रहे हैूं कि पाकिस्तान अपनी गिरेबां को झांक कर देखे । भारत तैयार है । क्योकि जब-जब इस देश पर दहशतगदोॻ ने हमला किया है हमने उसका माकूल उत्तर दिया है
जय श्रीराम
10 years ago
4 comments:
आपको कल भी कहा था पेशे में आ जाओ, सब समझ जाओगे। एक शायर ने बड़ा मौज़ूं कहा है आपके लिए,
चढ़ता सूरज है अभी आग तो उगलेगा ही,
वक्त ढलने दो इसे शाम निगल जाएगी।
पत्रकारिता और उसके इथिकस मैंने भी पढ़े हैं, और एक प्राइवेट कंपनी में ही काम कर रहा हूं। क्योंकि पत्रकारिता आजकल प्राइवेट दुकानों से ही चल रही है। मैं भी चाहता हूं कि मानदंडों पर चलूं, पर लाला को मुनाफा चाहिए और मुझे जीने के लिए जरूरी पैसा।
madhukar rajput jee,agar paisa hi chahiye..to patrakarita hi kyon...mere manana hai...kam se kam is chetra me aise logo ki jaroorat hai jo sirf patrakarita ke liye aaye...waise film "Page 3" me patrakarita khub dekhi hai..aue uske bina bhi...meri ye tippani aam patrakarita se hai ,aape se nahi..waise apne bat bilkul sahi kahi hai.
aur jahan tak Antule jaise logo ka sawal ho..to bhai aise gidar har jagah paye jate hai....inko apni maa bechne me bhi koi pareshani nahi hogi..agar koi inko 2-4 mans ka tukda fenk de...
यथाथ परक आलेख सुंदर बधाई
सचमुच आपके विचार अत्यन्त सुंदर है और यथार्थपरक भी , बधाईयाँ !आपके ब्लॉग की कुछ बातें बहुत अच्छी लगती है , शीघ्र ही विश्लेश्नोपरांत विस्तार से अपनी टिपण्णी दूंगा !
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